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2014 के आम चुनाव सपन्न हो चुके हैं और नतीजे अभूतपूर्व और अप्रत्याक्षित रहे। इन चुनावों में कई मिथक टूटे। बात करें उत्तर प्रदेश की तो कई चीजें वहां देखने को मिली पहली बार उत्तर प्रदेश से कोई मुस्लिम प्रत्याक्षी चुन कर नहीं आया और खुद को दलितों का मसीहा कहने वाली मायावती तो खाता खुलने के ईंतजार में ही रह गयी। क्या यूपी में जातिवाद की राजनीती अब खत्म होने के कगार पर है? जिसे हर किसी दल ने आज तक हर दल ने फायदा उठाने की कोशिश भी की है, और ईन चुनावों में भी खूब हुयी। लेकिन पूरे भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक मोदी को झोली भर कर वोट बरसे और ये वोट भाजपा से ज्यादा मोदी के नाम पर ही मिले जिसमें शायद किसी को ही शक हो।
इस जीत में सबसे ज्यादा किसी का योगदान रहा तो वो है मोदी की चुनावी रणनीति जिसे दो साल पहले से अमलीजामा पहनाया गया था और संघ और आम कार्यकर्ताओं के जरिये उस रणनिती को जन जन तक जमीनी स्तर पर पहुचांया गया। इन चुनावों के बाद कई राज्यों में भी राजनैतिक परिस्थितियां बदल सकती है, जिनमें बिहार, दिल्ली, झारखंड, उत्तराखंड।बिहार में सुशील मोदी पहले ही कह चुके हैं कि नीतीश के 50 विधायक उनके संपर्क में हैं। और चुनाव बाद समीकरण कुछ भी हो सकते हैं। झारखंड में तो सरकार पहले ही अल्पमत में चल रही है तो दिल्ली में चुनाव होना शायद तय है।
बात करें उत्तराखंड की तो हरीश रावत को एक आशा के साथ उत्तराखंड भेजा गया था और चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने राज्य में स्थिर सरकार के नाम पर वोट भी मांगा लेकिन मोदी लहर कहें या कांग्रेस विरोधी लहर वो एक सीट दिला पाने में नाकामयाब रहे। चुनाव से ठीक पहले सतपाल महाराज का बीजेपी में आना महज एक ईत्तफाक नहीं है. इसके लिए भी बीजेपी की रणनीति रही क्योंकि अब उत्तराखंड से बीजेपी के तीन पुराने सीएम लोकसभा में आ गये हैं और राज्य स्तर ऐसा कोई राष्ट्रीय नेता नहीं है तो राज्य का नेतृत्व कर सके, इस तरह सतपाल महाराज जो पहले ही संकेत दे चुके हैं कि राज्य सरकार चुनाव के बाद अस्थिर हो जायेगी। ऐसी परिस्थिति में पहले से सतपाल महाराज के खेमे के 10 से ज्यादा विधायक पाला बदल सकते हैं अगर ऐसा होता है तो सतपाल महाराज सीएम बन सकते हैं। जिससे इनकार नहीं किया जा सकता।
अंत में बात करें मोदी के दो में से एक सीट छोडनें की तो वो सीट बडौदरा की हो सकती हैं जिसका संकेत वो कल अपने भाषण में भी दे चुके हैं यह कह कर कि मैं यहां रहू या ना रहूं लेकिन यहा के लोग मुझे कभी भी आदेश दे सकते हैं.और मैं हाजिर रहूंगा। बडौदरा का सीट खाली होने की स्थिति में अमित शाह शायद वहां से चुनाव लड और जीत कर केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण पद पर काबिज हो सकते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाय तो कई परिवर्तन ईस चुनाव के बाद देश के साथ – साथ राज्यों में भी देखने को मिल सकते है जिसकी शुरुआत मोदी के शपथ लेती ही शायद शुरु हो जाये.. क्योंकि अच्छे दिन आने वाले हैं।
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