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दो आवाजों का रिश्ता (याद शहर की एक काल्पनिक कहानी)

"Ek Kona"
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एक जमाना था जव आखो- आखों में बाते होती थी, आंखों से गुस्ताख्यिया की जाती थी… चिट्टी पत्री का दौर था अब तो बस चेहरों की किताब में केवल खूबसुरत चेहरे देखे जाते हैं. I mean फेसबुक की दीवाल पर हाल लिखे जाते हैं , उसी दुनिया में चेहरे खोजे जाते हैं..फेसबुक मुझे भी बहुत पंसद है दिल्ली में अकेले रहता हूँ, नौकरी भी ठीक ठाक चल रही है और फेसबुक पर टाईम अक्सर पास करता हू.. यही पर एक रोज मुझे वो दिखी वो मतलब कनिका .. कनिका दीक्षीत.. कनिका दीक्षीत कोई पुरानी दोस्त या क्लामेट नहीं थी दोस्ती का फलसफा तो अभी शुरु होना था..ये मैंने तस्वीर देखते ही तय कर लिया था. औऱ झट से फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी औऱ साथ में मैसेज भेज दिया I Am विनय From Delhi.. एक दोस्त ने बताया था कि लडकिय़ा मेट्रो सिटी के लडको को जल्दी पंसद कर लेती हैं पर काफी देर हो गयी थी कोई जवाब नहीं आय़ा में भी ज्यादा दुखी नहीं था क्योंकि ये मेरे साथ कई बार हो चुका था अचानक देखा ईनबाक्स में एक मैसेज आया है कनिका का रिप्लाई आया था DO i know u? मैंने कहा नही. बट हा हम एक दुसरे को जान सकते हैं मैं उसके जवाब के ईंतजार में था उधर से जवाब आया क्यों जानना चाहते हो मेंने लिखा कि में आपका दोस्त बनना चाहता हू उसने लिखा क्यों.. मन तो कर रहा था कि कह दू कि तुम आज लकी ड्रा मे निकले हो पर लिखा नहीं मेंने कहा कि बस ऐसे ही दोस्ती करना चाह रहा था क्येों तुम्हें दोस्त बनाना पसंद नहीं हैं क्या उसने कहा कि मझे अंजान लोगों से दोस्ती करना पंसद नहीं है ..क्या करते हो भी पुछ लिया मैने झट से कहा कि फला कंपनी में क्रियेटिव राईटर हू और जाब भी अच्छी है..उसने कहा कि राईटटर ? राईटर तो बहुत बोंरिग होते है….. मैंने कहा कि कितने राईटरों को जानती हैं आप उसने कहा जानती नहीं हूँ और न ही जानना चाहती चाहती हूँ ईतना कहकर bye बोल दिया..मेंने भी bye बोल दिया..करीब 15 मिनट की चैट के बाद मैने घडी की ओर देखा तो रात के 11 बजने वाले थे ईस अंजान लडकी से नोंक झोक के बाद मुझे अच्छा सालग रहा था..पता नहीं अक्सर क्यों मुझे लगता है कि जानने वालो से ज्यादा अंजान लोगों से बाते करने में मजा आता है.

..अगले दिन आफिस के बाद फिर रात 10 बजे मैंने फिर फेसबुक खोला.और उसको मैसेज किया करीब 10 मिनट बाद रिप्लाई आया कि देखो मेरा ब्वाय फ्रेंड है और मैं उसके साथ बहुत खुश हूँ..Please तुम ये हाय हैलो कह के कहीं और ट्राइ करो.. खरा सा जवाब थोडा चुभ गया सा गया था मुझे…पर आदतन थोडा दुष्ट हूँ तो फिर लिख दिया कि दिल्ली में अकेला रहता हूँ कोई दोस्त नहीं है, तो फेसबुक पर थोडा चैट कर लेता हू तो सोचा कि आपसे दोस्ती कर लू साँरी अगर आपको बुरा लगा हो तो..कुछ देर बाद उसका मैसेज आया Its ok bye… थोडा मूड आफ हो गया था तो साईन आउट कर लेट गया..करीब 10 मिनट बाद फोन में नोटिफिकेशन का एक मैसेज आया देखा तो फेसबुक पर कनिका ने मेरी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी..
अगले दिन आफिस मैं बहुत काम था आते-2 बहुत थक गया था और आकर सो गया था अगले दिन संडे का दिन था उठने की कोई जल्दी नहीं थी ..लेट जगा ..औऱ दोपहर बाद लैपटाप आन कर फेसबुक साईन ईन किया दो देखा तो वो आनलाईन थी झट से हाय भेज दिया और उधर से भी जवाब आया hi!! मैंने पूछ लिया किय किया आप अभी तक नाराज हो क्या मुझसे..जवाब आया कि अगर नाराज होती तो रिक्वेस्ट एक्सेप्ट नहीं करती..थैक्यू कह के एक स्माईली बना दी उधर से भी एक स्माईली आ गयी…मैने भी राहत की सास ली.. ये स्माईली भी कमाल की चीज हैं बिना लफ्ज खर्च करते हुए भी सब कुछ कह देती है मैंने कहा कि तुम्हे राईटर सचमुच बोरिग लगते हैं. वो बोली नहीं ऐसी कोई बात नहीं है वो तो उस दिन गुस्से मैं बोल दिया था.उसने मुझसे पहली बार कोई सवाल किया था तुम क्या लिखते हो? मैंने कहा कि वैसे तो एक विज्ञापन ऐंजेसी में क्रियेटिव हेड हू, लेकिन कहानियां और कवितांए लिखने का भी शौक है. उसने कहा Oh!! Thats gr8 Best of luck..ऐसी ही थोडी सी हल्की बातचीत कर वो बांय कह के चली गयी,,चैट का ये सिलसिला लगातार 4 दिन यू ही चलता रहा कभी दिन में बातचीत हो जाती तो कभी रात में ,मैंने चैट पर उससे कहा कि तुम्हारी बातें ईतनी अच्छी हैं तो आवाज कितना अच्छी होगी क्या हम थोडा बात कर सकते हैं…उसने कहा कि अभी नहीं जब मुझे लगेगा कि नंबर देना है तो में खुद दे दुंगी.. करीब 3 दिन बाद रात 11 बजे चैट पर एक मैसेज आया आज थोडा लो साउंड कर रहे क्या हुआ सब ठीक तो है ना मैंने कहा हा बस थोडा घर वालो को मिस कर रहा हू..मैने फिर कहा कि हम बातें कर सकतें हैं..चैट पर उसने अपना दे दिया..बहुत खुश था कि घर वालों को बात करने के बहाने उससे बात नकरने का मौका जो मिला..मैंने कहा कि मैं फोन कर रहा आप फोन उठाओ..मेरे फोन करने के बाद उसने धीरे से हैलो कहा शायद घर पर होने के कारण धीमे बोल रही थी उसने कहा क्या हुआ ? मैंने कहा कि नहीं अब ठीक हू उसने कहा कि क्या बात है बडी जल्दी ठीक हो गये..हां तुमसे बात सी हो गयी..वो हंस दी..वो बोली अच्छा सच -2 बताओ कि तुमने क्या सोच कर मुझे फ्रेड रिक्वेस्ट भेजी थी..जब मैंने पहली आपकी तस्वीर देखी तो देखता ही रह गया कि कितना खुबसुरत चेहरा है तुम्हारी मुस्कान और होंठ के नीचे तिल..शायद उपर वाला भी किसी -2 पर ऐसे मेहरबान होता हैं वो हंस दी..मैंन कहा सच कह रहा हू और तुम्हारा नाम भी तो कितना प्यारा है कनिका..

उसने कहा कि चलो अपने बारे मुझे सब कुछ सच – 2 बताओ मैंने कहा जो बताया वो सच ही तो था उसने कहा कि अच्छा तुम्हारी गलफ्रेंड? ..मैंने कहा कि मेरी कोई गलफ्रेंड नहीं है हा थी जरुर मेरे साथ कालेज मैं पढती थी जब 19 का था तब ग्रेजुऐशन में था करीब 5 साल हमने कालेज में और 2 साल नौकरी में यानि कुल 7 साल हमने साथ बिताने के बाद वो अब छोड कर जा रही है.उसके घर वालों ने उसके लिए लडका तळाश कर लिया है उसने कहा कि तुमसे शादी क्यों नहीं कर रही है मैंने कहा कि कई वजहें पहले तो उसके पापा को सरकारी नौकरी वाला ही दामाद ही चाहिए..दुसरी कि मैं उनकी बिरादरी का नहीं हूं और तीसरा वो अपने घर वालों से लडते लडते थक चुकी है ,मेरी उम्र 27 साल की उसकी 26 साल की और उसके घर वाले उसकी शादी किसी भी हालत में करना चाहते हें
वो अपने घर वालों के ऊपर आंच नहीं आने देना चाहती हैं और एक अच्छी बेटी की तरह शादी करना चाहती है,,और मैं भी करीब 2 साल पहले गांव छोड कर दिल्ली आ गया था..बस ये ही है मेरा सच ..उसने कहा- सारी मैने आपको गलत समझा मुझे नही पता था कि हंस के बात करने और बिना दिमाग लगाने वाला और झुठ बोलने वाला शख्स अंदर से ईतना परेशान होगा..मैंने कहा क्या कर सकते हैं वैसे अब मुझे आदत हैं,,और तुम बताओ अपना सच. वो बोली अरे .मैने तो यहीं ईजीनिरियंग कालेज में एडमिशन लिया है औऱ साफ्टनवेयर ईनजीनियर बनना चाहती हू और ढेर सारा पैसा कमाना चाहती हू औऱ एक बात बताउ आप मुझसे 7 साल बडे हैं…. मैंने पुछा कि तुम्हारा ब्वाय फ्रेंड क्या करता है उसने कहा कि अभी मिला नहीं हैं मिल जायेगा तो बता दुगीं..मैंने कहा but तुमने तो कहा था कि तुम्हारा ब्वायफ्रेंड है और तुम उसके साथ बहुत खुश हो ?
उसने कहा कि वो तो मैंने वैसे ही कहा था औऱ मैं बिना ब्वायफ्रेंड के काफी खुश हू और वैसे भी ईस शहर के किसी लडके में ईतनी हिम्मत नहीं हैं कि वो मुझे गलफ्रेंड बनाने कीसोच सके.. दो मिनट में सबको लाईन पर ला देती हू मैंने हसते हुए कहा Oh!! तो लेडी डान हो क्या. मेरी बात सुन कर वो भी हंस दी औऱ बोली कि अच्छा अब सो जाईए, बहुत रात हो गयी है.. Gudnyt…फोन काटने के बाद बहुत सकुन मिल रहा था दिल के दरवाजे बहुत दिन बाद बेझिझक खोल पाया था. मन हल्का सा हो गया था दो आवाजों के रिश्ते की एक नयी शुरुआत थी ये …औऱ अब यह सिलसिला हर रोज चलने लगा था कभी फोन पर तो कभी चैट पर एक दिन मैं आफिस में था उससे बात कर रहा था कि काम ज्यादा होने के कारण उसके चैट का जवाब नहीं दे पाया था..आफिस में देर तक काम किया और तकरीवन 12 घर पहुचा ,,घर आके नूडल्स बना के खा ही रहा थी कि कनिका का मिस्ड काल आ गया
मैने खाना खत्म कर उसे काल किया उसने कहा कि क्या बाद आज बडे सुस्त लग रहे हो ,,मैंने दीवाल पकडते हुए धीरे से कहा कि मैं थक गया हू ईस नौकरी से झुठ लिख ळिख के , सपने बेच बेच के..और रोज कि चिक चिक..किसके लिए करु मैं ये? क्या करुगा अगर बडा आदमी बन भी गया तो जिसके साथ खुश था वो तो किसी और के साथ जिन्दगी बिताने जा रही है.क्या -2 छोड दुगां ..उसके साथ जिन गलियों में घुमा करता था वहां अकेले घुमने की हिम्मत नहीं हुयी तो गांव छोड आया..दीवाली पर भी घर नही गया क्योंकि हर साल दिवाली के दुसर दिन हम बचे पटाखे साथ फोडा करते थे…मेरे घर आती थी वो मां को बहुत पंसद थी वो माँ कहती थी कि तु ईससे कुछ क्यों सीखता नहीं हैं देख तेरी साथ पढाई की है ईसने और एक तु है.. मैने कहा ऐसा क्या कर दिया ईसने जो ईतनी तारीफे कर रही हो ईसकी..वो माँ से मेरी शिकायतें करती थी कि मैं कब कहा था क्या कर रहा था..रोज रात को जब थक के आता था तो वो मुझ से प्यार से बांते करती थी.अब तो उसकी बाते याद आती है पर अब वो नहीं हैं.. कनिका ने कहा कि शांत होजाईये उपर वाले ने जरुर कोई अच्छी जोडी आपके लिये बनायी होगी मैंने फ्रेस्टेशन में कह दिया कि ये जोडिया उपर वाला बनता है..जन्म -2 का प्यार सिर्फ फिल्मों में होता है असल जिदंगी में ईनका कोई लेना देना नहीं होता है.
असल जिंदगी में प्यार कोई नोवल में लिखे प्यार की तरह नहीं होता.असल जिदंगी में आज भी प्यार के जैसी चीजों के लिए कोई जगह नहीं हैं,आज भी नाम से ज्यादा सरनेम की पहचान है नाम तो केवल पुकारने के लिए होता है..फैसले तो सरनेम देख के होते हैं मैं थक गया था गुस्से की वजह से बोलते -2 मेरी सांस तेज हो गयीथी..उसने कहा बस हो गया पानी पिजिए पहले..मैंने पानी पिया..उसने कहा कि क्या हो गया अगर ऐसा हो गया तो आप हर चीज ठीक कर सकते हैं, हर हालात में खुश रह सकते हैं..कोशिश तो करिये मुझे भरोसा है आप पर..मुझे बहुत दिनों बाद किसी ने कहा था कि मुझसे कि उसे भरोसा है मुझ पर कहना तो चाह रहा था कि उसे भी बहुत भरोसा था मुझ पर अब नहीं रहा बिखरते हुए एक शख्स को कनिका अपनी आवाज से थाम रही थी उम्र में बहुत छोटी थी मुझसे लेकिन आज वो बच्चो की तरह समझा रही थी मुझे जैसे कोई बच्चा थोडा नाराज होने पर मुह फुला देता है तो बाकि घर वाले उसे मनाने की कोशिश करते हैं एैसे ही कनिका मुझे अपने जीवन के कुछ किस्से औऱ चुटकुले सुना रही थी..
लगाव हो रहा था मुझे उसकी बातों से, राहत दे रही थी उसकी बातें से जख्मों को मरहम सा लग रहा था उसकी बातों से मैं कब उसकी बातों और मीठी आवाज को ईयर फोन लगा के सुनते -2 कब सो गया था पता ही नहीं चला..
जिदंगी से ज्यादा उम्मीदें लगाना मैंने छोड दिया समझौता करना सीख रहा था मैं , और मैं घर से आफिस,और आफिस से घर के अलावा मेरी जिंदगी में था भी क्या .छुट्टी के दिन भी अकेलापन ईस तरह घेर लेता था कि मैं 4 दीवारों के बीच पाचवी दीवार हो जाता..दिल की बैचेनेी कभी कभी ईतनी बढ जाती है कि ईसान कभी -2 न चाहते हुए भी यादों के घावों को कुरदेने लगता है. मुझसे भी रहा नहीं गया मैंने भी 8 साल पुरानी अपनी गलफ्रेड को फोन लगा दिया मेरे हाल पुछने के बाद कहने लगी कि कैसे मेरे नाम से उसके घर वाले उसे आज भी ताना देते हैं,लेकिन ख्वाहिशों का गला घोटने के बाद भी उसे वो सब बर्दाश्त करना पड रहा था जो मैं नहीं चाहता था..ज्यादा देर तक सुन नहीं सका तो फोन रख दिया..अगले दिन आफिस गया तो फेसबुक खोला तो ध्यान आया कि कनिका कई दिनों से आनलाईन भी नहीं हैं ना कोई काल आया और मैं भी काम में ईतना उलझा थी कि काल भी नहीं कर पाया था ..मैंने रात को घर गया और उसका नंबर डायल कर दिया लेकिन पुरी बैल गयी पर फोन नहीं उठा
10 मिनट ईंतजार करने के बाद जब कोई रिप्लाई नहीं आया तो मैं थोडा परेशान सा हो गया और दुबारा फोन मिला दिया ईस बार फोन उठा तो एक सिसकी सी आयी..वो कुछ बोल नहीं पा रही थी मैंने कहा कि क्या हुआ बोल क्यों नहीं रहे हो? जवाब क्यो नहीं दे रही हों ? उसने कहा कि बाबुजी नहीं रहे..मैं भी कुछ नही बोल पाया क्या बोलता कुछ रुक के बोला कि कब हुआ ये सब कैसे? अचानक तीन दिन पहले हार्ट अटैक हुआ अस्पताल में दो दिन रहने के बाद वो……कह के वो रोने लगी मैं उसे दिलासा दिला रहा था लेकिन मुझसे भी ज्यादा बोला नहीं जा रहा था तो फोन रख दिया..उसकी तकलीफ से दुखी हो गया था अगले कई रोज तक मैंने उसे हर रोज फोन किया समझाता था उसे, बच्ची की तरह जिद करती थी वो मैं रोज आफिस पहुच के टाईम निकाल 9 बजे काल करता था उसे कि खाना खा ले वो और रात को आफिस से आन के बाद उसको मेरी मदद करने को कहता तांकि दिल बहल जाये उसका,,अपने विज्ञापनों केलिए आईडिया मागता उससे और फिर खिंचाई करता कभी कभी वो हंस देती तो कभी अचानक ठिठक जाती जैस कोई टुटा सपना नजरों के सामने आ गया हो एक रोज मैं उसे समझा रहा था कि कनिका जिदंगी बढती रहती है पढाई पर ध्यान दो और तुम्हें तो साफ्टवेयर ईंजीनीयर बनना हैं हमेंशा खुश रहने वाली कनिका और धीमी आवाज में बात करने वाली उस रोज चिल्ली उठी थी..क्या फायदा ये पढाई करने का बडी नौकरी करने का मैंने आपको कभी नहीं बताया कि मैं अपने भाइयों पर बोझ नहीं बनना चाहती थी पापा के जीते जी मैंन सुना था कि मैं बोझ हु उन पर जल्दी से जल्दी निपटा देना चाहते हैं वो मुझे जैसे मेरी जल्दी शादी करना मजबुरी थी उनकी और मैं किसी सामान की तरह घर में जगह घेर रही वो तो पापा कि मंजुरी के कारण ईजीनियरिंग में एडमिशन लिया था मैंने वरना वो तो ईसे भी पैसे की बर्बादी कह रहे थे और बीए में एडमीशन कराना चाह रहे थे मेरा
मैं चाहे जितनी मेहनत कर लु या टाप भी कर लु भैईय्या मुझे नौकरी नहीं करने देंगे वो तो जल्द से जल्द मेरे हाथ पीले कराना चाहते हैं और अफसोस की बात ये है कि मैं चाह के भी कुछ नहीं कर सकती पहले भी समझौते करते हुए आयी हु और आगे भी वहीं करने हैं
जिदंगी भी कभी कभी भुल भलैया लगती थी हा कभी तन्हाईयों का अहसास होता तो कनिका से बात कर लेता कभी मिला नहीं था उससे लेकिन उसकी आवाज भी कम खुबसुरत नही थी.जख्म हर घाव को भर देता है कनिका भी पापा की मौत के बाद अब कालेज जाने लगी थी आधी रात को बच्चों जैसी जिद करने लगती जैसे मैं कभी किसी का फोन नहीं काटती पहले आप काटिये..मेर खाना ना खाने पर खाने की जिद करती और फोन पर मुझे खाना बनाना सिखाती थी मैं उससे खाना बनाना तो नही हा जिंदगी जीना जरुर सीख रहा था एक रोज दिन में उसका फोन आया नार्मली वो दिन में फोन नहीं करती थी मैंने पुछा क्या हुआ. वो बोली मुझे किसी ने प्रपोज किया है क्या करु मैने कहा देख लो जो ठीक है वो करों कह के मैन फोन काट दिया और काम में लग गया उस रोज उसका रात को कोई मिस्ड काल नहीं आया अगले दो तीन भी नहीं .हफ्ते भर बाद मैंने रात को उसे फोन किया तो उसका नंबर बिजी जा रहा था मैं फिर नूडल्स बनाने में लग गया और उसके बारे में सोच ही रहा था कि उसका फोन आ गया मैंने फोन काटकर फोन किया औऱ कहा कि अब ब्याव फ्रेड मिल गया तो बात करने का भी टाईम नहीं है आपके पास… वो बोली नहीं ऐसी कोई बात नहीं हैं आप बताईए कैसे है आप मैंने कहा कि नुडल्स खा रहा हु खाओगे. वो बोली कि अब कब तक ऐसे रहोगे शादी कर लो मैने कहा कि मुझसे कौन शादी कौन करेगा अपना खर्चा तो चल नहीं रहा… वो बोली सब हो जाता है कोशिश तो करीये मैंने कहा कोशिश तो ही कर रहा हु और अब तुम भी अब बिजी हो जाओगी अपने ब्वायफ्रेंड के साथ फिर मुझसे कौन बात करेगा वो गुस्से में बोली तो ठीक है तो मैं आपसे बाते क्यों कर रही हू उसी से बाते करु ये कर उसने फोन काट दिया.. मैने दुबारा उसे फोन किया बोली कि अब क्या सुनायेंगे बोलिए ,,मैंने कहा अरे मैं तो वेसे ही मजाक कर रहा था चलो ईस शहर में कोई तो ऐसा कि जो ईस लेडी डान से पंगा ले सके वो हंस दी बोली हा ये तो है मैंने कहा चलो अब सो जाओ..मैं भी सो जाता हू. ईसके ठीक दिन बाद दोपहर मे 12 बजे फोन आया मैने वापस फोन किया तो बोली कि मुझे आपसी लडाई करनी है मैंने कहा अरे वाह!!! चलो शाम तक पूरी तैयारी कर लो अभी आफिस में काम है और भरी दोपहर में लडाई करने मैं मजा नहीं आयेगा रात को मैं भी पुरी तैयारी के साथ आता हूं वो बोली नहीं अभी करनी हैं फिर गुस्से मे बोली ठीक है अब मुझे काल मत करिए …. मैंने शाम को बात करते हैं कह के मैंने फोन रख दिया.जानता था कि रात तक ठीक हो जायेगी,, रात को काल किया तो बोली-मैं आपके फोन का ही ईतजार कर रही थी मुझे आपसे एक सीरीयस बात करनी है वो बोली कि मैने तय कर लिया है कि मैं आपसे कभी बात नहीं करुगीं मैं अपने ब्याव फ्रेंड को धोखा नहीं दे सकती आपके साथ बात करती हू तो मुझे लगता ही कि मैं उसके साथ खुश नहीं हूं मैंने कहा ठीक है मै काल नही करुगा आपको परेशानी नहीं होगी.उसने कहा कि आप मेरी परेशानी की चिंता छोडिए वो है मेरा ख्याल रखने वाला है….. 🙁 🙁 🙁
उसने फोन काट दिया..मैंने भी दुबारा फोन मिलाना उचित नहीं समझा मुझे पता था कि आज नही तो कल यो होना ही था जैसे आवाजों की कोई शक्ल नहीं होती वैसे ही उनका कोई भविष्य नहीं होता मैं उदास होके अपने कमरे मैं आके सो गया गहरी नींद में था सुबह के करीब 4 बजे थे तो व्हाब्रेट करते हुए फोन पर नजर पडी तो कनिका का काल था मेरे चेहरे पर हंसी आ गयी और यकीं हो गया कि दिल के दरवाजे को कितना भी कस के बाँधो आवाजें अंदर दाखिलें हो ही जाती हैं..

—द्वारा–ओम

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(यह याद शहर की एक काल्पनिक कहानी हैं )

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