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उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था- नेता करें गलती सजा मिल अफसरों को

"Ek Kona"
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Durga Shaktiआईएएस अफसरों में दुर्गा शक्ति की छवि एक शांत और अपने काम में लगी रहने वाली महिला अफसर की है। 11 महीने गौतमबुद्धनगर में गुजारने के दौरान ही दुर्गा शक्ति यमुना और हिंडन नदी के किनारे अवैध खनन के काले कारोबार पर नकेल कसने के लिए स्पेिशल फ्लाइंग स्वानन यड बनाया। अब तक वह यूपी सरकार को लाखों रुपए का फायदा करा चुकी थीं। लेकिन 41 मिनट में उनका सस्पेंशन हो जाता है पिछले साल मथुरा के कोसीकलां में हिंसा हुई, उसमें किसी को निलंबित नहीं किया गया। प्रतापगढ़ में एक समुदाय के मकान जला दिए गए, लेकिन डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं हुई। इसी तरह बरेली में दो-दो दंगे हुए, इसी तरह लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर भी साम्प्र दायिक दंगों का शिकार हुआ लेकिन यहां किसी आईएएस अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। फैजाबाद दंगों में भी किसी आईएएस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं पशु तस्‍करी मामले में पिछले साल जब् गोंडा के एसपी ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर लिया और उसमें एक राज्यामंत्री का नाम सामने आया तो यूपी सरकार ने बजाए उस राज्य मंत्री पर कार्रवाई करने के उलटे एसपी को ही पद से हटा दिया

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था

• 4 जून 2013 — मुलायम सिंह ने कहा मैं सीएम होता को 15 दिनों में सुधार देता यूपी में कानून व्यवस्था- उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार को इस बार विपक्षी पार्टियों ने नहीं, बल्कि उन्हीं की पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने निशाने पर लिया है। मुलायम ने प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जाहिर की है। साथ ही इसके लिए अखिलेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अगर में यूपी का सीएम होता तो सिर्फ 15 दिनों में कानून व्यवस्था सुधार देता। गौरतलब है कि इसके पहले की समाजवादी पार्टी की सरकार में मुलायम ही प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और प्रदेश में कानून व्यवस्था की सबसे बुरी स्थिति थी।एसपी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तमाम प्रयासों और उपायों के बावजूद उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था में सुधार न आने को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि इसके लिए अगर जरूरत पड़े तो जिम्मेदार अधिकारियों को जेल भी भेज दिया जाना चाहिए।एसपी मुखिया ने उनके साथ मौजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नसीहत भरे अंदाज में कहा कि आम जनों की समस्या हो अथवा कानून व्यवस्था का सवाल, मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह इस संबंध में कड़ा रुख अपनाए।

• कानून-व्यवस्था दुरुस्त करना मुख्यमंत्री अखिलेश के लिए चुनौती बन गया है।
• विधानसभा चुनाव से पहले डी.पी. यादव और मुख्तार अंसारी जैसे आपराधिक छवि वाले नेताओं को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल न करने जैसे फैसलों से पार्टी की पराम्परागत आपराधिक छवि में बदलाव की उम्मीद जगाने वाले अखिलेश यादव अब तक इसमें नाकाम साबित हुए हैं।सपा के सत्ता में आने के दिन से ही पार्टी के कार्यकर्ता, विधायक और मंत्री लगातार कानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं।
• उत्तर प्रदेश में में चोरी, डकैती, हत्या, अपहरण, बलात्कार तथा साम्प्रदायिक दंगों की घटनाएं चरम पर पहुंच चुकी है।
• जून 2012 में विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया था कि 1 मार्च से 15 अप्रैल के बीच प्रदेश में 669 हत्याएं, 35 डकैतियां, 263 बलात्कार 429 लूट और वाहन चोरी के 3256 मुक़दमें प्रदेश के विभिन्न थानों में दर्ज किये गये थे। सरकारी आकंडो को यदि सही माना जाये तो औसतन प्रतिदिन 15 हत्याऐं, 6 बल्तकार और 5 लूट की वारदातें राज्य में हो रही हैं।
• उत्तरप्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के आधे के करीब विधायक ‘दागी’ हैं।कुल 403 सदस्यों वाले सदन में 47 फीसदी विधायक (189) दागी हैं। यह कुल वर्तमान विधायकों का 47 प्रतिशत है। जबकि 2007 में 140 दागी विधायक सदन में थे। इस दफा चुने गए विधायकों में से 98 के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं। दागियों की सबसे ज्यादा भरमार सपा में है। उसके 224 विधायकों में से 111 दागी हैं। यानि लगभग आधे।इसके बाद बसपा के 29, भाजपा के 25 तथा कांग्रेस के 13 दागी विधायक हैं।

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