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इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मैच फिक्सिंग से लेकर स्पॉट फिक्सिंग की बातें पहले भी उठती रही हैं लेकिन BCCI ने क्या कदम उठाए इससे रोकने के लिए ये सबके सामने है। अब जबकि आईपीएल की चकाचौंध के पीछे का इंडिया टीवी चैनल के स्टिंग आपरेशन के ज़रिये सामने आ चुका है तथा बीसीसीआई ने पाँचों खिलाड़ियों अभिनव बाली, टी. सुधीन्द्र (डेक्कन चार्जर्स), मोहनीश मिश्रा (पुणे वारियर्स), शलभ श्रीवास्तव तथा अमित यादव (किंग्स इलेवन पंजाब) को १५ दिनों के लिए निलंबित कर दिया है तथा पूरे मामले की जांच भी की जा रही है, ये पाँचों कोई बड़े नामी खिलाड़ी नहीं हैं मगर इन्होंने कैमरे के सामने जो कुछ भी कबूला है वो अपने आप में इस बात की तस्दीक करता है की IPL में किस तरह स्पॉट फिक्सिंग और लेन देन धड़ल्ले से जारी है सबका एक ही मकसद है पैसा,पैसा और पैसा !!!
ऐसा प्रतीत होता है कि आईपीएल में काले धन को सफ़ेद करने की प्रक्रिया का दायरा BCCI के बूते से कहीं आगे निकल गया है। पर यहाँ BCCI की एकतरफा कार्रवाई से सवाल यह उठता है कि क्या मात्र इन पांच खिलाड़ियों को पांच साल के लिए निलंबित करने से इनकी टीम फ्रेंचाइजी के ऊपर लग रहे दाग धुल जायेंगे? जबकि खिलाडी कैमरे के सामने साफ तौर पर टीम प्रबंधन और मालिको के शामिल होने कि बात कर रहे हैं ,अगर ये खिलाडी कल को दोषी भी साबित हो जाते हैं तो ये तो सस्पेंड हो जाएँगे लेकिन जो बड़ी मछलियां हैं वो तो अपना काम जारी रखेंगी आज IPL एक खेल न होकर मनोरंजन
और व्यापार हो गया है जिसमे जमकर लेन देन होता है चाहे वो खिलाडी का हो या पैसो का. मेरा मानना है जब तक ये राजनेता यहाँ विद्यमान रहेंगे तब तक ये चलन जारी रहेगा .राजनीति और खेल के गठबंधन के चलते भी क्रिकेट को जमकर नुकसान हुआ है जिसका असर खेल पर निश्चित रूप से पड़ा है। यही कारण है कि टीम फ्रेंचाइजी के विरुद्ध कार्रवाई करने की हिम्मत सरकार के बस में तो नहीं है।
किसी फ्रेंचाइजी पर सीधे उंगली नहीं उठाई जा सकती, पर यदि आईपीएल के अनजाने खिलाड़ियों तक को अंदरखाते महंगी कारें और फ्लैट बतौर तोहफे में दिए गए हैं, तो समझा जा सकता है कि इस खेल में काले धन का कैसा इस्तेमाल हो रहा है? सोचने लायक बात ये है की , जब बीसीसीआई अध्यक्ष ही टीम मालिकों की सूची में है तो निष्पक्ष जांच की उम्मीद क्या करें? ये तो ऐसा होगा कि आप खुद ही मुजरिम हैं और वकील भी आप है और निर्णय देने वाले जज भी आप ही हैं , क्योंकि BCCI ने जो जाँच कमिटी बनायीं है वो अपनी रिपोर्ट BCCI अध्यक्ष को देंगे जो टीम चेन्नई के मालिक हैं और ऐसी परिस्थिति में निष्पक्ष जाँच कि उम्मीद करना अपने आप में एक सवालिया प्रश्न है ? अगर कोई मालिक इसमें शामिल भी रहता है क्या बीसीसीआई और सरकार टीम फ्रेंचाइजी पर कोई कार्रवाई करेंगीं? शायद नहीं क्यूंकि बाजारवाद के चलते आईपीएल भी दोनों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है। , इन परिस्थितियों में बड़े खिलाड़ियों तक तो जांच की आंच दिन में सपना देखने जैसी है। हाँ ऐसा जरुर हो सकता है कि BCCI छोटे तथा गैर-परिचित खिलाड़ियों पर अपना चाबुक चलाकर जनता को बेवक़ूफ़ ज़रूर बना सकता है। खेल मंत्री अजय माकन की BCCI को IPL से अलग करने व BCCI को सूचना के अधिकार में लाने की बात जो की बहुत जायज है ,अगर ऐसा होता तो शायद जो खेल के नाम पर व्यापार चल रहा है उस पर कही न कही से लगाम लगनी शुरू हो जाती।
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